मैं आपके के विचारों से सहमत हूं शासन द्वारा बिना किसी योजनाबद्ध तरीके से लॉक डाउन की घोषणा करने से मजदूरों के पलायन की स्थिति निर्माण हुई।
शासन के पास परिस्थिति का आकलन करने एवं प्रतिबंध लगाने से उत्पन्न होने वाली स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए काफी समय था ।परंतु उस पर ध्यान न देते हुए फरमान जारी कर दिया गया जिसका प्रभाव गरीब तबके पर पड़ा। दैनिक मजदूरी ना होने की स्थिति में उनके समक्ष काम न करने पर भूख से मरने की भयावह स्थिति की कल्पना निर्मित होने लगी। जिसके फलस्वरूप उन्होंने पलायन को अपना विकल्प मान लिया। यदि सरकार अपने फरमान में मजदूरों के प्रति की गई व्यवस्था की पूर्व घोषणा कर देती इस प्रकार की उहापोह की स्थिति से बचा जा सकता था। जिसके लिए वह पूर्णतः जिम्मेवार है।
मैं आपके के विचारों से सहमत हूं शासन द्वारा बिना किसी योजनाबद्ध तरीके से लॉक डाउन की घोषणा करने से मजदूरों के पलायन की स्थिति निर्माण हुई।
शासन के पास परिस्थिति का आकलन करने एवं प्रतिबंध लगाने से उत्पन्न होने वाली स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए काफी समय था ।परंतु उस पर ध्यान न देते हुए फरमान जारी कर दिया गया जिसका प्रभाव गरीब तबके पर पड़ा। दैनिक मजदूरी ना होने की स्थिति में उनके समक्ष काम न करने पर भूख से मरने की भयावह स्थिति की कल्पना निर्मित होने लगी। जिसके फलस्वरूप उन्होंने पलायन को अपना विकल्प मान लिया। यदि सरकार अपने फरमान में मजदूरों के प्रति की गई व्यवस्था की पूर्व घोषणा कर देती इस प्रकार की उहापोह की स्थिति से बचा जा सकता था। जिसके लिए वह पूर्णतः जिम्मेवार है।