Mugdha shiddharth
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26 Mar 2020 10:40 AM
धन्यवाद
धन्यवाद
मैं शब्द हूं मैं हार को भी जीत में बदल सकता हूं।
मैं टूट कर बिखरता नहीं बिखर कर भी जुड़ जाता हूं।
मेरा अस्तित्व स्वतंत्र है मैं अभिव्यक्ति की सीमाओं में बंधता नहीं।
समय मेरे सार को बदल सकता नहीं।
धन्यवाद !