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4 Mar 2020 12:16 PM

एक और सुन्दर कविता ।
समाज की समस्या के प्रति पीड़ा वेदना तथा सम्वेदनाएँ ।
दस्तूरों के प्रति विद्रोह तथा यथार्थ में अकेले कर पाने में असमर्थता।
इतने सहृदय स्वभाव हेतू कवयित्री को बधाई ।
कौन कह सकता है कि विज्ञान की प्राध्यापिका हैं।

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4 Mar 2020 12:23 PM

Thanks ji

8 Mar 2020 05:52 PM

पुन पड़ने पर किसी अपने के बिछुडने या जीवन संसार छोड़ने की वेदना प्रतीत होती है

कुछ पीड़ाये सदैव के लिये होती है ,कभी नही जाती।

11 Mar 2020 09:40 PM

Ji Shi smjha

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