सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Author
29 Feb 2020 10:35 PM
आभार
आभार
टूटे हुए ख्वाबों ने हमको ये सिखाया है।
दिल ने जिसे पाया था आँँखों ने गवाया है।
श़ुक्रिया !