आलोक कौशिक
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23 Feb 2020 08:44 AM
महोदय, आपको जानकर शायद आश्चर्य होगा कि यह महज़ कहानी नहीं बल्कि सत्यकथा है। और सत्य को पचाना आसान नहीं होता। नियमित रूप से अख़बार पढ़ा कीजिये। इस तरह की हृदयविदारक घटनाएं प्रतिदिन घटित होती हैं…✍️
आप की कथा विरोधाभास युक्त है ।
जिसमें आपने लिखा है कि माँँ ने अपने बेटे को जलाकर मार डालने की कोशिश की।
यह कथन मेरी समझ से परे है कि कोई माँँ अपने बेटे को मारकर उसकी बहू पर किस तरह अधिकार जमा सकती है । जब बेटा ही नहीं रहेगा तो बहू भी उस घर में कब तक और क्यों कर रहेगी ।और कोई माँँ अपने बेटे को जलाकर नहीं मार सकती इन सब विरोधाभासों का उत्तर स्पष्ट करें ।