Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

इश्क़ तो उसे कहते हैं जो दिलों जाँँ की हद से गुज़र कर ऱूह तक उतर जाए।
ज़िस्म फ़ना होने पर भी ऱूह से ऱूह का रिश़्ता क़ायम कर जाए।

श़ुक्रिया !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

धन्यवाद महोदय अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए , आपने सच कहा और जमाने ( कलयुग ) की कड़वी सच्चाई से तो आप भी वाकिफ हो ही , माने अपनी रचना में यही कहने का प्रयास किया है।

Loading...