सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Author
5 Feb 2020 11:26 PM
आभार
आभार
जिंदादिल ही ज़िंदगी जीते है।
वरना जिंदा लाश ढोते ज़िंदगी गुज़ारते कई हैं।
श़ुक्रिया !