Ashok Chhabra
Author
18 Dec 2020 12:58 PM
वाहहह। बहुत खूब आदरणीय।
जब घुंगरूओ सी बजती है बूंदें ।
अरमा हमारे पलके ना मूंदे ।
कैसे देखे सपने नयन ।
सुलग सुलग जाए मन ।
भीगे आज इस मौसम में लगी कैसी ये अगन।
श़ुक्रिया