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यही हस़रत है मेरी कि कर दूं निस़ार जान ओ तन कि रहे वतन सलामत।
मिटा के रख दूँ हर नाप़ाक इऱादे जो फैला रहे दहश़तगर्दी ,ज़़ुल्म और नफ़रत।
श़ुक्रिया !

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जी सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीय श्री

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