कैसी चली है अब के हवा तेरे शहर में । जल रहे हैं आशियां तेरे शहर में। पुरअम़न खुशग़वार मंज़र की फ़िज़ा थी और तऱन्नुम की हवाएं बहतींं थी तेरे शहर में । वहीं मौत की चीखें सुनाई पड़ती है अब तेरे शहर में। श़ुक्रिया !
You must be logged in to post comments.
कैसी चली है अब के हवा तेरे शहर में ।
जल रहे हैं आशियां तेरे शहर में।
पुरअम़न खुशग़वार मंज़र की फ़िज़ा थी और तऱन्नुम की हवाएं बहतींं थी तेरे शहर में ।
वहीं मौत की चीखें सुनाई पड़ती है अब तेरे शहर में।
श़ुक्रिया !