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दोस्त बनकर भी नहीं साथ निभाने वाला वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला ।
जिंदगी तुझ पर बहुत ऐतबार किया है मैंने ऐसा ना हो तू भी संगदिल होकर मुझे ठुकरा कर ना चल दे।
श़ुक्रिया !

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