ए परवऱदिग़ार कभी तो होगा तेरा मुझ पर ऱहम ओ क़रम़ । जी रहा हूं ये ज़िंदगी अपने दिल में लिए ये भ़रम। श़ुक्रिया !
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ए परवऱदिग़ार कभी तो होगा तेरा मुझ पर ऱहम ओ क़रम़ ।
जी रहा हूं ये ज़िंदगी अपने दिल में लिए ये भ़रम।
श़ुक्रिया !