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आप की कथा का दुखद अंत पालकों कि संकीर्ण सोच का परिचायक है । पालक सामाजिक दबाव के चलते शादी कर देना समस्या का अंत समझ लेते हैं ।परंतु वे यह भूल जाते हैं कि समस्या का प्रारंभ शादी के बाद ही होता है। उन्हें अपने बच्चों से मिल बैठकर वार्ता कर समस्या का हल ढूंढना चाहिए। बच्चों को सही गलत का ज्ञान देना भी आवश्यक है। जिससे वे राह भटकने से बचे रह सकें । यह एक ज्वलंत समस्या है । जिसका हल इस विषय में सकारात्मक सोच से ही हो सकता है ।
धन्यवाद !

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