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हमारे राष्ट्रकवि श्री मैथलीशरण गुप्त जी को माना जाता रहा है। किसी अन्य को अब तक यह मानद् उपाधि नही दी गई है । अतः स्वयं को इस राष्ट्रकवि की उपाधि से सज्जित करने के अधिकार का आधार स्पष्ट करने का कष्ट करें।
कृपया रचनाओं में कृलष्टता का समावेश अधिक न हो। अन्यथा रचनाएँ समझने में दुरुह हो जाएँँगी।
धन्यवाद

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महोदय , अपने राष्ट्र का हर एक कवि राष्ट्रकवि होता है … गुप्त जी उत्कृष्ट विचारधारा के हैं , वंदनीय हैं ,
जहां तक कृलष्टता की बात है , विशुद्ध हिन्दी प्रयोग की गयी है।
जय हिन्द वन्देमातरम्

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