सुखविंद्र सिंह मनसीरत
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21 Dec 2019 02:14 PM
आभार
आभार
इस रंग बदलती दुनिया में इंसानी फितरत और है ।इंसानियत गुमशुदा यहां मजबूरी और बेचारी का दौर है।
श़ुक्रिया