Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

जब समाजिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। तब शिक्षक भी उससे अछूता नही रह सकता। शिक्षा का पर्याय यदि धन कमाना हो जाए तब शिक्षण व्यापार बन जाता है । विद्यार्जन को धनोपार्जन की कुंजी मान लिया गया है। ज्ञानवर्धन नही । जिसके लिये जनसाधारण की मानसिकता भी दोषी है केवल शिक्षक नही।
ज्वलंत मुद्दे पर प्रस्तुत विचार का स्वागत है ।
धन्यवाद !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

आभार आदरणीय

Loading...