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दिन गुज़रता है तेरे ख़य़ालो मे रफ़्ता रफ़्ता ।
तो रात बीतती है तेरे ख्वाबों मे ख़राम़ा ख़राम़ा ।
तेरी चाहत ने इस कदर मारा कि हम जीते हैं न मरते है। अब तो ये जिस्म़ो जाँ हम तेरे हवाले करते हैं ।

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