रूद़ादे इश्क किस तरह सुनायें । होंठ सिल गये हैं । लफ्ज़ जम गये हैं। अश्क हैं जो थमते नही। तेरी चाहत ने इस क़दर मारा कि हम जीते नही मरते नही । शुक्रिया
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रूद़ादे इश्क किस तरह सुनायें ।
होंठ सिल गये हैं । लफ्ज़ जम गये हैं।
अश्क हैं जो थमते नही। तेरी चाहत ने इस क़दर मारा कि हम जीते नही मरते नही ।
शुक्रिया