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आज क्षोभ से भरा है देश। शर्मसार हुआ अस्तित्व विशेष। मानवता हुई तार तार समाजिकता रोती जार जार।
आपके व्यथित हृदय की पुकार अन्याय के विरूद्ध शंखनाद है।

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आभार… धन्यवाद मित्र

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