लक्ष्मी सिंह
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14 Dec 2019 11:42 PM
हार्दिक धन्यवाद?? आ०जी
करत नही निज कर्म जो रहत मन संकोच ।
डूबत है तब शर्म में बनत कारण निज संकोच।
रचना का धन्यवाद