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श़ह और मात ये ज़िन्दगी के खेल है।
जिसमें किसी का साथ नही सब झेलते अकेले हैं।
जज़्बा जीत का रख तभी पायेगा अपनी मंज़िल तू ।
वरना मात का ग़म तुझे भटकाकर रख जायेगा ।

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28 Nov 2019 01:18 PM

धन्यवाद

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