एक स्त्री पुरुष की पीड़ा को सोचे अहसासों की इससे अच्छी अभिव्यक्ति क्या होगी ! केवल शारीरिक रूप से बलिष्ठ होना ही शोषित होने का बचाव नही होता ,मर्द को दर्द नहीं होता ,यही बता कर उसे दर्द की अभिव्यक्ति से रोका जाता है ! पर यह जरुर है उसे बगावत करने की आजादी है जो की स्त्री को नहीं है ! जो जिम्मेदारियों से मुक्त होने की बगावत कर लेता है वो इससे आजाद है
एक स्त्री पुरुष की पीड़ा को सोचे अहसासों की इससे अच्छी अभिव्यक्ति क्या होगी ! केवल शारीरिक रूप से बलिष्ठ होना ही शोषित होने का बचाव नही होता ,मर्द को दर्द नहीं होता ,यही बता कर उसे दर्द की अभिव्यक्ति से रोका जाता है ! पर यह जरुर है उसे बगावत करने की आजादी है जो की स्त्री को नहीं है ! जो जिम्मेदारियों से मुक्त होने की बगावत कर लेता है वो इससे आजाद है