मधुसूदन गौतम
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9 Oct 2019 08:16 PM
जी धन्यवाद आदरणीय।मेरी सोच लीक से हटकर ही चलती है। किसी को पसन्द आये या न आये।। पर मेरा नज़रिया हर चीज़ को देखने का अलग ही होता है।इसीलिये मेरी पोस्ट को बहुत कम लोग कमेंट करते है। क्यो की आप जैसे प्रबुध्द लोग कम ही है जो विचारों की तह तक जाते है। अन्यथा तो आप जानते ही है ,साहित्यपीडिया पर हज़ारों में लाइक व्यू मिलने वाली रचनासो में क्या विशेष होता है।
9 Oct 2019 08:29 PM
Bilkul sahi sir
Baat aapki sahi hai. Vastav me ye ritu parv hain. Kahani baad me jod di gai hain.