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जी प्रणाम,आपकी रचना पढ़ी अत्यंत प्रभावी लगी ! परन्तु क्षमा करें एवं त्रुटि सुधार करें ! जैसे निराली ,और के मध्य कौमा (,) लगाने की आवश्यकता नहीं है ,जगते-जगते ऐसे लिखें , (पलों मे )में मे को में करें ,दिनभर एक साथ लिखें ,रखकर/रखके जो भी लिखें एक साथ लिखें ,दुनिया लिखें न कि दूनिया , बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने। कृपया इसे अन्यथा न लें ! अशेष शुभकामनाएं , सादर ‘एकलव्य VOTED

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5 Nov 2018 05:56 PM

Thank you for your comment ..in hurry I just posted still thank you I will take care of it in future .

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