मन की बडी विचित्र. महिमा है, अर्चना जी इसमें साक्षात् भगवान. प्रवाहित. होते है, इसीलिए प्रवृत्तियो के हिसाब. से हमारे सामर्थ्य. योग्यताओ का प्रक्रियाओं का स्वरूप. बनता बिगडता रहता है
You must be logged in to post comments.
मन की बडी विचित्र. महिमा है, अर्चना जी इसमें साक्षात् भगवान. प्रवाहित. होते है, इसीलिए
प्रवृत्तियो के हिसाब. से हमारे सामर्थ्य. योग्यताओ का प्रक्रियाओं का स्वरूप. बनता बिगडता रहता है