Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

मांँ, तेरी ममता को मांँ बनके समझ पाई हूँ,
मांँ बनकर भी मैं बड़ी नहीं हो पाई हूँ।
.
माँ को अभिनंदित करती बहुत अच्छी रचना… शुभकामनाएँ आदरणीया

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
9 Nov 2018 12:39 PM

सादर आभार आपका ?

Loading...