Ankita Kulshreshtha
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20 Jul 2016 10:44 PM
धन्यवाद आदरणीय
आपके सुझावों के लिए विशेष आभार
आदरणीया अंकिता जी सुंदर गीतिका प्रस्तुत की है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. कुछ जगह सुधार की गुंजाइश है.
बिन तुम्हारे जिंदगी विराम है……इस पंक्ति में गेयता भंग है.
प्रीति तेरी सौ जनम तक चाहिए
मिलन तुमसे पुण्य का परिणाम है……….मेल तुझसे ………
याम (पु.)