पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
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28 Dec 2018 07:32 PM
जब प्रेरणा स्रोत हो आप जैसा,
तब मनोभाव पर अंकुश कैसा
निखर रही है कविता
मुखरित होता कवि है ।
उदित हो रहा प्राची में
नव प्रभात सा रवि है ।।