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10 Dec 2018 06:16 AM

धुपाणु लगाई, बाजु लगाई,
द्यबता का नौ कु बोगठ्या ल्याई,
लोगुन सबुन कछमोलि खाई,
द्यबता तैं मंडुला पर थरप्याई,
तेसालु तैकु घड्यालु लगाई !!

बहुत बढ़िया कविता/गीत छ उनियाल जी !
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