धुपाणु लगाई, बाजु लगाई, द्यबता का नौ कु बोगठ्या ल्याई, लोगुन सबुन कछमोलि खाई, द्यबता तैं मंडुला पर थरप्याई, तेसालु तैकु घड्यालु लगाई !!
बहुत बढ़िया कविता/गीत छ उनियाल जी ! ????
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धुपाणु लगाई, बाजु लगाई,
द्यबता का नौ कु बोगठ्या ल्याई,
लोगुन सबुन कछमोलि खाई,
द्यबता तैं मंडुला पर थरप्याई,
तेसालु तैकु घड्यालु लगाई !!
बहुत बढ़िया कविता/गीत छ उनियाल जी !
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