रात दिन है फिक्र मुझको एक ही अब तो यहाँ। घर मेरे भी एक बेटी अब सयानी हो गई।। 3 वाजिब चिन्ता 1 वाह्ह्ह्ह सुन्दर गज़ल
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रात दिन है फिक्र मुझको एक ही अब तो यहाँ।
घर मेरे भी एक बेटी अब सयानी हो गई।। 3
वाजिब चिन्ता 1 वाह्ह्ह्ह सुन्दर गज़ल