शिकारी घर से जब निकलता है कारतूस ले कर, करता है शिकार खुद महफूज़ रह कर, सामना जब होता है शिकार से मालिक, भय ही है जो शिकार बनता है कोई निर्दोष रह कर ।।
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शिकारी घर से जब निकलता है कारतूस ले कर,
करता है शिकार खुद महफूज़ रह कर,
सामना जब होता है शिकार से मालिक,
भय ही है जो शिकार बनता है कोई निर्दोष रह कर ।।