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25 Nov 2018 04:33 PM

आदरणीय आपको शायद मेरी कविता पसंद नहीं आई नहीं पढ़ी तो कृपया पढ़ें और कमियों से अवगत अवश्य कराएं अगर पसंद आए तो आप कृपया वोट देकर कृतार्थ करें जी

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आपकी कविता अच्छी है आदरणीया।
मैं वोट दे चुका हूं।
प्रूफ –
पत्थर नर्म, पर पत्थर दिल कैसे पिघलाती?
चलती हथौड़े की हत्थी शायद ढाँढस बंधाती
कोमल है, कमजोर नहीं, यही याद दिलाती।
लाल के उज्जवल भविष्य के स्वप्न सजाती
वह माँ केवल माँ ।।
मुक्ता शर्मा
बटाला शहर

This is a competition entry

Competition Name: साहित्यपीडिया काव्य प्रतियोगिता- “माँ”

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25 Nov 2018 05:30 PM

बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय आपको तकलीफ दी।
भगवान की कृपा हमेशा आप पर बनी रहे

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