बहुत उम्दा नात है। जनाब मुबारकबाद क़बूल करें।
“ग़ुलामी चाहिए उनकी नहीं है लुत्फ़ जीने में’ इस मिसरे को यूं कर लें तो बेहतर होगा.. ग़ुलामी चाहिए उनकी यहीं अब ज़ौक़ सीने में। उनकी नहीं एक साथ पढ़ने में अर्थ में बाधा हो जा रही है।
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यही
बहुत उम्दा नात है। जनाब मुबारकबाद क़बूल करें।
“ग़ुलामी चाहिए उनकी नहीं है लुत्फ़ जीने में’
इस मिसरे को यूं कर लें तो बेहतर होगा..
ग़ुलामी चाहिए उनकी यहीं अब ज़ौक़ सीने में।
उनकी नहीं एक साथ पढ़ने में अर्थ में बाधा हो जा रही है।