Sukhchain Mehra
Author
20 Nov 2018 04:03 PM
जी, शुक्रिया आपकी प्रतिक्रिया से मन प्रसन्न हो गया । जी मैं बेटियों को लेकर काफी संवेदनशील हूँ, जब भी इनके प्रति कुछ करने के लिए अवसर प्राप्त होता है तो जरूर करता हूँ अपनी कलम से…
आदरणीय पत्रात्मक शैली में एक संदेहवाहक की तरह अपने माॅ के बहाने माॅ-बेटी की पीड़ा को शब्द दिये हैं। बहुत मार्मिक तरीके से लिखा आंखें नम हो गईं, परमपिता से प्रार्थना है कि हर बेटी को उसके मायके ही नहीं ससुराल में भी सुख-चैन और स्नेह-प्रेम से जीवन जीने को मिले सब बड़ों का आशीर्वाद सदैव बना रहे। लेखन के लिए आपको धन्यवाद। शुभकामनाओं का सदैव आकांक्षी