Mukta Tripathi
Author
18 Nov 2018 08:18 PM
आदरणीय आपके वोट के लिए और इतनी गहराई से पढने और समीक्षा करने के लिए तहेदिल से शुक्रिया ।
और मैंने अपनी कविता द्वारा विभिन्न मानक लेकर माँ की सशक्तता, सकारात्मकता
पर ही प्रकाश डालना चाहती थी ।जैसे
गरीब-मजदूरवर्ग से संबंधित माँ,शराबी पति का संताप बहादुरी से झेलती माँ, और इतनी बेड़ियों से जकड़ी फिर भी इच्छा शक्ति के बल पर सभी बंधनों से आजाद स्वतंत्र माँ केवल माँ ।।
19 Nov 2018 01:09 AM
महोदया, आपकी कृति विशिष्ट है।
Mukta Tripathi
Author
21 Nov 2018 04:18 PM
??
21 Nov 2018 10:02 PM
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जय मेधा
पंक्तियाँ तथा रूपाकृति, दोनों अच्छी हैं सुश्री जी तथा माँ का वर्णन हर संतान की भाँति हृदय से किया गया है।
एक परामर्श या कह लें सम्मति मैं मेरे विचार के आधार पर साझा करना चाहता हूँ यदि अनुचित लगे तो क्षमाप्रार्थी सदैव रहूँगा।
कविता में मात्र माँ का वर्णन होता स्वतन्त्र रूप से होता तो और भी आनंदमयी होती।
कोई भी मानक या आधार, जिसके अनुसार आँकलन किया जाए (शराबी पिता यहाँ एक मानक का कार्य कर रहा है, जो पँक्तियों की स्वतंत्रता को घटाता है।
मैं ज्ञानी बहुत नहीं हूँ किन्तु वास्तविक समय में जी विचार आए, मैं साझा कर रहा हूँ।
जय हिंद
जय मेधा
जय मेधावी भारत
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