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37 वा वो ट स्वीकार करें मित्र… गेयता के साथ, सुगढ शब्दों में मां की वंदना की है आपने.. मां वाग्देवी से सुत नि:संदेह ही ऐसी सृजना करते हैं… नमन आपके कवीश को.. प्रणाम निवेदित करता हूंआपको….
मेरी रचना पर विचक्षण दृष्टिपात करें सादर अच्छी लगे तो स्नेह स्वरूप मत अवश्य प्रदान करें…… नमन आपको

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आभार आपका

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