बैकों की लाइन में लगे ग़रीबों और किसानों का भोगा हुआ यथार्थ , जो मैंने देखा उसे लिख दिया ।
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बैकों की लाइन में लगे ग़रीबों और किसानों का भोगा हुआ यथार्थ , जो मैंने देखा उसे लिख दिया ।