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इस कलयुग का यही कटु यथार्थ है सर कि जो लोग आपके हितैषी व शुभचिंतक होने का दावा करते हैं, आपकी नाकामियों का जश्न भी वही मनाते हैं। कौन अपना है और कौन पराया, इसमें भेद करना आज की कठिन समस्या है।

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