दो बार टिपण्णी पढ़कर स्क्रीनशाट लेकर लौट गया…निश्चित नहीं कर पा रहा हूँ कि इतने क्लिष्ट शब्दों से युक्त साहित्य-समीक्षक जैसे टिपण्णी के प्रतियुत्तर में क्या लिखा जाए। और कल तक तो कितने भले आदमी थे साधारण शब्दों से काम चला लेते थे एकाएक (गत) चुनावी परिणामों जैसा अप्रत्याशित परिवर्तन कैसे🧐
दो बार टिपण्णी पढ़कर स्क्रीनशाट लेकर लौट गया…निश्चित नहीं कर पा रहा हूँ कि इतने क्लिष्ट शब्दों से युक्त साहित्य-समीक्षक जैसे टिपण्णी के प्रतियुत्तर में क्या लिखा जाए। और कल तक तो कितने भले आदमी थे साधारण शब्दों से काम चला लेते थे एकाएक (गत) चुनावी परिणामों जैसा अप्रत्याशित परिवर्तन कैसे🧐