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सांसों के तार पर, धड़कन के ताल पर,
वक्त की दहलीज पर ,टिकी हुई है ,ये ज़िंदगी,
हवा के दोस पर रखी, जिस्म़- ए-च़राग को
सोज़े दिल से रोशन करती हुई है , ये ज़िदगी ,
न जाने कब सांसो का तार टूट जाए,
धड़कन का ताल थम जाए ,
न जाने कब ,हादसों के झोंकों से
च़राग बुझ जाए,
ज़िदगी फ़ना होकर रूह
सितारों से मिल जाए।

श़ुक्रिया !🌹

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