अमोल ने विष्णु की आवाज़ में मित्रता के चिर-परिचित अधिकार से ज्यादा अनुनय जैसा अनुभव किया।
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अमोल ने विष्णु की आवाज़ में मित्रता के चिर-परिचित अधिकार से ज्यादा अनुनय जैसा अनुभव किया।