प्राकृतिक उपादानों के प्रति हमारी संवेदनहीनता को उजागर करती कविता। साधुवाद सर।
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प्राकृतिक उपादानों के प्रति हमारी संवेदनहीनता को उजागर करती कविता। साधुवाद सर।