'अशांत' शेखर
Author
4 Sep 2022 10:08 PM
लोग खुद को खुद का प्रतिद्वंदी नही बनाते दुसरो के साथ हमेशा शर्तिया जिंदगी जीते है।बस वही एक विचार जेहन से कलम के द्वारा उतर आया धन्यवाद मनीषा जी 🙏🙏🙏
जब खुद से खुद हारोगे तो एक नई सिख पाओगे
प्रतिद्वंदी को हराने में आपकी जो धमक है रहने दो
वाह बहुत हीं शानदार, मंत्रमुग्ध कर गयी आपकी रचना 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻