'अशांत' शेखर
Author
26 Aug 2022 03:02 PM
वैष्णवी जी आपको प्रणाम हृदयतल से बहोत बहोत आपको शुक्रिया कल तक जो रचना होगी वो आखरी रहेगी अब हम चले बाहर की ओर धन्यवाद 🙏🙏🙏
26 Aug 2022 03:28 PM
बाहर मतलब साहित्यकारों के परिवार से दूर कहाँ 😟
'अशांत' शेखर
Author
26 Aug 2022 10:06 PM
लंबे सफर पे चले है 😔😔😔🙏🙏🙏
26 Aug 2022 10:55 PM
ईश्वर करे आपको हर सफर पर सफलता मिले 🙏🙏
वाह आपके अल्फाज़ लाजवाब हैं। बहुत सही बात कही है। बेमिसाल रचना 👌👌👌🙏