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19 Aug 2022 10:23 PM

मृत संवेदनाओं के बाज़ारों में, फिर भी कुछ उम्मीदें थमी होती हैं।ऐसा लगता है मानों आपने हर एक के भावनाओं को अपनी अल्फाजों से जीवित कर दिया हो और अपनी रचना मे हर एक के संवेदना को आधार दिया हो।मंत्र मुग्ध कर देने वाली रचना। ऐसी रचना हम सब के बीच लाने के लिए आपकी जितना भी शुक्रिया करूं कम है।🙏🏻🙏🏻

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20 Aug 2022 06:19 PM

बहुत बहुत आभार अनामिका जी🙏 इतनी हौसला अफ़ज़ाई के लिए हृदय से धन्यवाद 🙏🙏🙏

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