'अशांत' शेखर
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19 Aug 2022 07:22 PM
आपके पीठ थपथपाते बहुमूल्य लफ्ज़ एक नयी ऊर्जा का एहसास भरते है नए सृजन की प्रेरणा जगाते है बहोत बहोत हृदयतल से आभार शुक्रिया धन्यवाद 🙏🙏🙏
पत्थरों में कहाँ इँसानो सा छल कपट..
बने है जरिया ये इँसा की कलाकारी है
दुनिया के छलावे को बहुत हीं पारदर्शिता से बयां करती है आपकी रचना, बेहद लाजवाब 👌👌👌🙏🙏🙏