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13 Aug 2022 06:53 PM

बहुत ही खूबसूरत कलाम है अगर बुरा ना लगे तो इस लाइन को जरा रिदम “जरूर बाजारभाव मिला वाज़िब है” सही करें जैसे अजीब अदीब नसीब नसीब तो ये खींचकर बोले जा रहे है और इनके मुकाबले वाजिब की तुकबंदी नही हो रही है। बुरा लगे तो माफ कीजियेगा।

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जी बहोत बहोत धन्यवाद आभार आप ने जो सुझाव दिया है वो सर आँखों पे इसमें क्या बदलाव हो सकता है जरा सोचते है बस इसका जो मतला है वो ना बिगड़े वो अर्थपूर्ण होना जरुरी है 🙏🙏🙏🌷🌷🌷

अब पढ़ो और बताओ जी 🙏🙏

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