'अशांत' शेखर
Author
5 Aug 2022 06:19 PM
जी आपको पसंद आयी मतलब ये गजल अकबर है आपके दो अल्फाज़ इसको मुक्कमल करते है आभार धन्यवाद शुक्रिया भाईजान 🙏🙏❤️❤️🙏🙏
'अशांत' शेखर
Author
5 Aug 2022 06:26 PM
भाईजान आपने कल वाली एक फ़िरदौस पढ़ी नही शायद एक बार जरूर नजर से नवाज़े हम आपके अल्फाज़ो का इस्तेकबाल चाहिए
भाई ये लाइनें बहुत ख़ास लिखी है आपने “गुमशुदा चेहरा मेरा मिटा होगा शहर के नक़्श से
मैं तो जिंदा हूं शायद उनके नजर में लाश हो गया” बहुत ही उम्दा।