डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
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31 Jul 2022 01:30 AM
चलिए उलाहने में ही सही, आप भी कविता लिखने की ओर उन्मुख हैं 💐😊
वाह! यूँ ही ख्वाब देख कविता रचते रहें…..हकीकत में तो…..
श्री मती के बालों को देख उठता न कोई भाव ,
दो-चार किलो प्यार कौन कहे, मिला न एक भी पाव.