'अशांत' शेखर
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26 Jul 2022 09:25 AM
बहोत बहोत शुक्रिया आभार धन्यवाद इस गझल को लिखने में सबसे ज्यादा वक़्त लगा है
26 Jul 2022 09:26 AM
तभी तो इतनी अनमोल है।
भाई क्या लिखते हो कसम से दिल को पढ़ने पर मजबूर कर देते हो मन करता है बस पढ़ते ही रहे और ये ग़ज़ल कभी ख़त्म ना हो। बहुत ही उम्दा ग़ज़ल। तारीफों से ऊपर वाली इस गज़ल को किसी तारीफ़ की जरूरत नहीं ये खुद में बेमिसाल है।